शायरी

हम यादें समेट रहें थे, और ओ ऊमिदे बाट रहे थे।
फर्क सिर्फ इतना ही था, 
हम खयालों में थे। और ओ खयाल जिंदा कर रहे थे।
-B. S. K.

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