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Poetry

डरसे, डर के। डर के उपर का, दिमाग मत हटाना। डटकर,  हटके,  हटाना, सिर्फ डर को दिमाग को नहीं। - B. S. K.

Poetry : समंदर - यादोंका

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समंदर - यादोंका  यादोंका  समंदर थोड़ा गहरा है। उम्मीदों का जहाज काफी बड़ा है। लहरों को आस किनारे की है। लफ्ज़ अभी भी ओठो तक सीमित है। सपनों का साहिल अभी भी धुंधला है। मंजिलों का सफर लेकिन पूरा है। चमक आसमान के चांद तारों से महफूज है। रिश्तोंको एहसांस दो बातों से महरूम है। शब्दों का सेहलाब प्रेम भाव से अधूरा है। शब्दों की नगरी में जहाज अभी पूरा है। -B. S. K.